26 सितंबर, 2012

‘दिनकर जयन्ती’ पर पटना प्रलेस का आयोजन - कवि सम्मेलन !



        आप नहीं चाहेंगे तो भी मौसम बदलेगा, क्षमा करें! 

    २३ सितंबर को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की जयंती पर बिहार प्रगतिशील लेखक संघ  की पटना जिला इकाई द्वारा पटना स्थित केदार भवन के सभागार में एक भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता बिहार प्रलेस के महासचिव राजेन्द्र राजन ने की। मुख्य अतिथि वरिष्ठ जनवादी गीतकार नचिकेता थे तथा संचालन डा. रानी श्रीवास्तव ने किया। 
       कार्यक्रम का आरंभ करते हुए राजेन्द्र राजन ने कहा कि ‘दिनकर’ की याद में आज का कार्यक्रम समर्पित है, उन्होंने आगे कहा कि हम जो रचते हैं, जनता के लिए रचते हैं। राष्ट्रकवि दिनकर भी यही किया करते थे। 
      इसके पश्चात युवा शायर विभूति कुमार की गजलों से कवि सम्मेलन का आगाज़ हुआ । कवि मुकेश तिवारी, जेपी राय, गणेश झा, आर पी घायल, राकेश प्रियदर्शी, गणेश बागी, श्रवण कुमार, मनोज कुमार आदि ने काव्य पाठ को जहाँ नई उँचाई दी वहीं वरिष्ठ गीतकार नचिकेता ने अपनी पंक्ति - आप नहीं चाहेंगे तो भी मौसम बदलेगा, क्षमा करें! से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। युवाकवि शहंशाह आलम अपनी कविता  - अगर तुम पूछो/कि मुझे बारिश के दिन अच्छे लगते हैं/ कि सर्दियों के/ मैं कहूँगा दोनों/ क्योंकि दोनों ही मौसम में/ हमारे दुश्मन हमसे इर्ष्या करते हैं ! से श्रोताओं को रोमांचित किया। सम्मेलन में कवि रमेश ऋतंभर, संजय कुमार कुंदन, राजकिशोर राजन, विनोद कुमार चैधरी, शिवदयाल, शिवनारायण एवं श्रीराम तिवारी ने अपनी-अपनी प्रतिनिधि कविताओं से श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया। गीतकार श्रीराम तिवारी ने कहा - मौसम की दुनिया में हल्ला हुआ, पीले थे जो फूल वो लाल हो गये... । कवयित्री रानी श्रीवास्तव की कविता की देखें बानगी - पीपल के पत्तों की छाया/ कुछ छाँव न दे पाई मुझको/ इस देहरी से उस देहरी तक/ सब रिश्ते हो गए बेमानी।

- अरविन्द श्रीवास्तव, मीडिया प्रभारी सह प्रवक्ता, बिहार प्रगतिशील लेखक संघ
 मोबाइल - 09431080862.

कोई टिप्पणी नहीं: